Liquor Policy Scam: दिल्ली में Law और Politics की टक्कर

🔍 दिल्ली आबकारी नीति 2021 – पृष्ठभूमि

2021 में केजरीवाल सरकार ने एक नई शराब नीति लागू की, जिसका उद्देश्य सरकारी दुकानों को बंद करके शराब की बिक्री को निजी हाथों में देना था। इससे ग्राहक सुविधा, छूट और सरकारी राजस्व बढ़ाने की बात कही गई थी। लेकिन 2022 में यह नीति विवादों में घिर गई और ₹2000 करोड़ के घोटाले के आरोप लगे।

सीएजी रिपोर्ट में बताया गया कि इस नीति से चुने हुए कारोबारियों को लाभ पहुंचाया गया। बाद में यह नीति सितंबर 2022 में रद्द कर दी गई।

🕵️‍♀️ घोटाले के आरोप और जांच

नीति लागू होते ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे।
CBI और ED ने आरोप लगाया कि शराब ठेकों के लाइसेंस के बदले घूस में ₹100 करोड़ लिए गए। “साउथ ग्रुप” नामक एक लॉबी को फायदा पहुंचाने के लिए नीति बदली गई।

  • ED ने दावा किया कि नीति में 12% मुनाफे की गारंटी देकर घूस ली गई।
  • CBI ने 2022 में केस दर्ज किया।
  • आरोप है कि पूरी नीति एक “किकबैक स्कीम” थी।

👮 गिरफ्तारियाँ और अदालती कार्यवाही

  • मनीष सिसोदिया को फरवरी 2023 में CBI ने गिरफ्तार किया।
  • AAP नेता विजय नायर, कविता (TRS नेता) और अन्य कारोबारी भी गिरफ्तार हुए।
  • अरविंद केजरीवाल को मार्च 2024 में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के केस में गिरफ्तार किया।
  • जून 2024 में CBI ने भी भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया।
  • सितंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी, और 17 सितंबर को उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

⚖️ नए आपराधिक कानूनों (BNS, BNSS, BSA) के तहत मामला

1 जुलाई 2024 से IPC, CrPC और Evidence Act की जगह नए कानून लागू हुए:

🔸 Bharatiya Nyaya Sanhita (BNS):

  • IPC जैसे ही धोखाधड़ी, साजिश, जालसाजी जैसी धाराएं जारी हैं।
  • घोटाले के अपराध BNS की नई धाराओं के तहत चलेंगे।

🔸 Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita (BNSS):

  • गिरफ्तारी के नियम बदले: अब पुलिस को गिरफ्तारी का कारण लिखित में बताना होगा।
  • पुलिस कस्टडी की सीमा: अधिकतम 15 दिन, वह भी 60 या 90 दिनों की जांच अवधि के भीतर।
  • पहचान परेड या जांच के नाम पर बेल नहीं रोकी जा सकती (Sec 481)।
  • पूर्व-जमानत (Anticipatory Bail) अब भी संभव है, कुछ अपराधों को छोड़कर।

🔸 Bharatiya Sakshya Adhiniyam (BSA):

  • डिजिटल सबूत (जैसे ईमेल, कॉल लॉग) को मान्यता, बशर्ते सही प्रमाण पत्र हो (Sec 63)।
  • इलेक्ट्रॉनिक एक्सपर्ट की राय कोर्ट में मान्य (Sec 39)।

🔑 मुख्य बदलाव (पुराने कानूनों की तुलना में)

विषयपुराना कानून (IPC/CrPC)नया कानून (BNS/BNSS/BSA)
गिरफ्तारीअक्सर मनमानी होती थीअब स्पष्ट नियम और रिकॉर्ड जरूरी
पुलिस कस्टडी15 दिन की सीमा15 दिन, लेकिन टाइमलाइन के साथ
बेल नियमअधिक लचीलेअब अधिक सख्त, लेकिन पारदर्शी
इलेक्ट्रॉनिक सबूत65B प्रमाण पत्र जरूरीअब BSA के तहत और स्पष्ट नियम

निष्कर्ष:

दिल्ली शराब नीति घोटाला, एक हाई-प्रोफाइल राजनीतिक और कानूनी मामला है, जिसमें अब नए भारतीय आपराधिक कानूनों के तहत कार्यवाही हो रही है। यह केस नए कानूनों की व्यवहारिक परीक्षा भी बन गया है — जहां एक तरफ राजनेताओं की जवाबदेही है, वहीं दूसरी तरफ नागरिकों के अधिकार और पारदर्शिता भी केंद्र में हैं।


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